
हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा का विधान है किंतु मां दुर्गा के प्रति भक्तों की अनूठी आस्था है। मां दुर्गा की शरण में आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं।
साल में चार बार नवरात्र आते हैं जिनमें से चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र प्रमुख हैं। बाकी दो गुप्त नवरात्र हैं जोकि तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। नवरात्र के दिनों में अष्टमी पूजन का बहुत महत्व है।
कब करें अष्टमी पूजन
चैत्र और शारदीय नवरात्र मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। इसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है। चैत्र नवरात्रि हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में आते हैं और शारदीय नवरात्र सितंबर-अक्टूबर के महीने में। चैत्र नवरात्र से हिंदू नववर्ष का आरंभ भी होता है।
हिंदू धर्म में मां दुर्गा को आदि शक्ति का स्थान दिया गया है और शास्त्रों के अनुसार देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र के दौरान व्रत रखने का विधान है।
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नवरात्र में नौ रूपों की पूजा
नवरात्र का अर्थ नौ रात्रि और नवरात्र के दिनों में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवे दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवे दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। आज हम आपको अष्टमी तिथि यानि दुर्गा अष्टमी की पूजन विधि के बारे में बताएंगें।
दुर्गाष्टमी पूजन विधि
नवरात्र के आठवें दिन महागौरी का पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार महागौरी को आदि शक्ति का आठवां रूप माना गया है। महागौरी की पूजा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि अष्टमी पूजन करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं और सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
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नवरात्र में अष्टमी पर कन्या पूजन
नवरात्र के नौ दिनों में मां शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करने का विधान है। इस शुभ दिन पर कुंवारी छोटी कन्याओं को भोजन कराकर अपनी सामर्थ्यानुसार दक्षिणा दी जाती है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और सब दुख दूर हो जाते हैं।
अपनी सामर्थ्यानुसार अष्टमी के दिन 5,7, 9 या 11 छोटी कन्याओं को अपने घर पर बुलाकर भोजन करवाएं। कन्याओं की उम्र 2 साल से 10 साल के बीच ही होनी चाहिए। इसके बाद सभी को घर में बुलाएं और उनके पैर धोकर साफ स्थान पर उचित आसन देकर बैठाएं।
अपनी परंपरा के अनुसार कन्या पूजन करके उन्हें कुमकुम से तिलक लगाएं और फिर उनकी कलाई पर कलावा बांधें। पूजन संपन्न होने के पश्चात् कन्याओं को हलवा, पूरी और चना या अपने अनुसार कोई भी सब्जी या मिष्ठान आदि भोजन में दें।
भोजन के बाद उन्हें अपनी सामर्थ्यानुसार कोई भेंट और दक्षिणा देकर विदा करें। विदा करते समय परिवार के सभी बड़े सदस्य कन्याओं के पैर जरूर छुएं। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है और सारे पाप धुल जाते हैं।
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दुर्गा अष्टमी पूजन 2018
इस बार शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से आरंभ हो रहे हैं और अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन आसमानी नीले रंग के वस्त्र धारण कर पूजा में बैठें।
दुर्गाष्टमी पूजन में इस बात का रखें ध्यान
नवरात्रें में अखंड ज्योत जला रहे हैं तो घर को खुला या अकेला छोड़कर न जाएं। इसके अलावा जहां माता की मूर्ति की स्थापना की हो वहां पर पीठ करके भी प्रवेश न करें या मंदिर की तरफ पीठ करके न बैठें। तामसिक भोजन और अनैतिक कार्यों से दूर रहें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
नवरात्र के उपाय
नवरात्रि में पूजा के समय प्रतिदिन माता को शहद एवं इत्र चढ़ाना न भूलें। नौ दिन के बाद जो भी शहद और इत्र बच जाए उसे प्रतिदिन माता का स्मरण करते हुए खुद इस्तेमाल करें। मां की आप पर सदैव कृपा दृष्टि बनी रहेगी।
घर में मां लक्ष्मी का वास हो तो पहले नवरात्र में एक लाल कपड़े में ग्यारह कौड़ियां और तीन गोमती चक्र रख कर माता के पूजन के साथ उस पर हल्दी से तिलक करके उसे पूजा घर में रख दें। नवमी को हवन करने, कन्याओं का पूजन करने के बाद इन्हें उसी लाल कपड़े में बांधकर घर की रसोई में ऊंचाई पर बांध दें।
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घर में मां लक्ष्मी का वास हो तो पहले नवरात्र में एक लाल कपड़े में ग्यारह कौड़ियां और तीन गोमती चक्र रख कर माता के पूजन के साथ उस पर हल्दी से तिलक करके उसे पूजा घर में रख दें। नवमी को हवन करने, कन्याओं का पूजन करने के बाद इन्हें उसी लाल कपड़े में बांधकर घर की रसोई में ऊंचाई पर बांध दें।
नवरात्र में दो जमुनिया रत्न लेकर उसे गंगा जल में डुबोकर घर के मंदिर में रखें फिर हर शनिवार को माता दुर्गा का स्मरण करते हुए उस जल को पूरे घर में छिड़क दें, घर के सदस्यों के बीच में प्रेम बढ़ने लगेगा। इसके बाद पुन: इन रत्नों को गंगा जल में डुबोकर मंदिर में रख दें। इस प्रयोग को नवरात्र से ही शुरू करेंगें तो बहुत अच्छा होगा।
अगर आप मां दुर्गा के भक्त हैं और माता रानी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस बार दुर्गाष्टमी पर इस विधि से उनका पूजन जरूर करें।
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